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हिंदी वर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्र | Hindi Subject Varn Class Objective Question

Hindi Subject Varn Class Objective Question नमस्कार आज के इस पोस्ट में आप सभी को हिंदी वर्ण विषय से वस्तुनिष्ठ प्रश्न दिए जाएंगे जहां से आप आसानी से सॉल्व करके आपने जो पढ़ा है उसका टेस्ट ले सकते हैं तो इन सभी क्वेश्चन को देखें।

यदि आप इन प्रश्नों को सॉल्व करते हैं तो आपको इसके साथ कॉन्सेप्ट भी क्लियर होगा क्योंकि यहां सभी उत्तर डिटेल से बताए गए हैं जिससे आपको सभी बिंदु और सिलेबस से जुड़े सभी पॉइंट को अच्छे से समझ पाएंगे और एक्सप्लेन किया गया है जिससे आपको सवाल की अच्छी समझ और उत्तर से आपका कॉन्सेप्ट भी क्लियर हो जाएगा।

 

Table of Contents

Results

#1. 1. भाषा की सबसे छोटी इकाई को क्या कहा जाता है?

Ans. (a): भाषा की सबसे छोटी इकाई को ‘वर्ण’ कहा जाता है। वर्ण को दो भागों में बाँटा गया है- (i) स्वर, (ii) व्यंजन हिंदी वर्णमाला में कुल ’52’ वर्ण होते हैं जिनमें स्वरों की संख्या ’11’ तथा व्यंजनों की संख्या ’41’ होती है।

#2. 2. भाषा की सार्थक लघुत्तम इकाई किसे माना जाता है?

उत्तर : (a) भाषा की सार्थक लघुत्तम इकाई ‘शब्द’ को माना जाता है। उच्चारण की दृष्टि से भाषा की लघुत्तम इकाई ध्वनि है। ध्वनियों के मेल से शब्द बनते हैं, लेकिन शब्द बनाने के लिए इन्हें सार्थक या अर्थ बोधक की क्षमता से युक्त होना चाहिए। ध्वनि सार्थक ही हो यह जरूरी नहीं हैं, जैसे-अ, क, प, त इत्यादि। ये ध्वनियां हैं, लेकिन सार्थक नहीं है। किन्तु कल, कब, चल आदि ये शब्द क्योंकि इनमें सार्थकता है। अर्थात् अर्थ देने की क्षमता है, और ऐसे ‘शब्द’ भाषा की सार्थक इकाई हैं। शब्द हैं,

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#3. 3. भाषा की मूल इकाई-

उत्तर : (b) भाषा की सबसे छोटी या मूल इकाई ध्वनि है। भाषा की सार्थक इकाई ‘वाक्य’ है। वाक्य से छोटी इकाई उपवाक्य, उपवाक्य से छोटी इकाई पदबंध, पदबंध से छोटी इकाई ‘पद’ (शब्द), पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि है।

#4. 4. वर्णों के कितने भेद हैं?

उत्तर (c) : वर्णों के दो भेद हैं- 1. स्वर 2. व्यंजन

#5. 5. हिन्दी भाषा की कुल वर्ण लिपियाँ हैं-

उत्तर (c) : हिन्दी भाषा की कुल वर्ण लिपियों की संख्या 52 है।

स्वर – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ = 11

व्यंजन क वर्ग (कंठस्थ) क, ख, ग, घ, ङ च वर्ग (तालव्य)- च, छ, ज, झ, ञ ट वर्ग (मूर्धन्य)-ट, ठ, ड, ढ, ण त वर्ग (दन्त्य)-त, थ, द, ध, न प वर्ग (ओष्ठ)-प, फ, ब, भ, म = 5 = 5 = 5 = 5  = 5 अन्तःस्थ य, र, ल, व = 4 ऊष्म श, ष, स, ह = 4 = 4 = 2

संयुक्त व्यंजन क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

अयोगवाह-अं, अः

द्विगुण व्यंजन ड़, ढ़ = 2

कुल वर्णों की संख्या

= 52

#6. 6. लिपि-चिह्नों के क्रमबद्ध समूह को क्या कहते हैं?

उत्तर : (d) हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ‘ध्वनि’ होती है। ध्वनि के लिखित रूप को ‘वर्ण’ कहा जाता है। वर्णों के क्रमबद्ध समूह को ‘वर्णमाला’ कहते हैं। हिंदी में 52 वर्ण होते हैं।

#7. 7. कौन स्वर नहीं है?

उत्तर (d) : उपर्युक्त विकल्पों में ‘ब’ स्वर नहीं है। यह एक स्पर्श व्यंजन है। यह प वर्ग का तृतीय वर्ण है, जिसका उच्चारण स्थान ओष्ठ है।

#8. 8. इनमें से ‘ऋ’ क्या है ?

उत्तर : (d): हिन्दी के प्रमुख स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ हैं। इनमें मूल स्वर अ, इ, उ, ऋ हैं। संयुक्त स्वर-ए, ऐ, ओ, औ। स्वर के दो प्रकार हैं-ह्रस्व स्वर अ, इ, उ, ऋ। दीर्घ स्वर आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

#9. 9. इनमें से किस शब्द में ‘ऋ’ की मात्रा का उपयोग हुआ है?

उत्तर : (a) : ‘वृष्टि’ शब्द में ‘ऋ’ की मात्रा का उपयोग हुआ है। ‘ऋ’ की मात्रा वाले अन्य शब्द: कृतज्ञ, कृष्ण, सृजन आदि हैं।

#10. 10. जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है और जो व्यंजन के उच्चारण में सहायक होते हैं उसे कहते हैं

उत्तर : (b) जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है और जो व्यंजन के उच्चारण में सहायक होते हैं उसे स्वर कहते हैं। इनके उच्चारण में भीतर से आती हुई वायु मुख से निर्बाध रूप से निकलती है। हिन्दी में स्वर वर्णों की संख्या ग्यारह है। सभी स्वर स्वतंत्र होते हैं।

#11. 11.स्वरों की संख्या कितनी हैं?

उत्तर. (a) : स्वरों की संख्या 11 होती है। जिन वर्णों का स्वतंत्र उच्चारण किया जा सके या जिन ध्वनियों के उच्चारण के समय हवा बिना किसी वट के निकलती है, वे स्वर कहलाते हैं। जैसे-अ, आ, इ, ई आदि।

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#12. 12. स्वरों का उच्चारण

उत्तर : (d) ‘स्वरों’ का उच्चारण बिना किसी की सहायता से होता है। ये सभी स्वतंत्र होते हैं। ‘व्यंजन वर्णों’ का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी रहती है।

#13. 13. ‘स्वर’ किसका भेद है?

उत्तर. (c) : हिन्दी वर्णमाला में वर्ण दो प्रकार के होते हैं (1) स्वर (2) व्यंजन । स्वर- स्वर उन वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण बिना अवरोध अथवा बाधा के होता है। ये सभी स्वतंत्र हैं। व्यंजन स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं।

#14. 14. मात्रा के आधार पर स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर : (b) उच्चारण में लगने वाला समय ‘मात्रा’ कहलाता है। इसी मात्रा के आधार पर स्वरों के तीन भेद हैं-

(1) ह्रस्व स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है, उन्हें ‘ह्रस्व स्वर’ कहते हैं। अ, इ, उ, ऋ ह्रस्व स्वर हैं। इन्हें ‘एक मात्रिक स्वर’ भी कहते हैं।

(2) दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगता है, वे ‘दीर्घ स्वर’ कहलाते हैं। इन्हें ‘द्विमात्रिक स्वर’ भी कहते हैं। ये हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

(3) प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में तीन मात्रा का समय

लगे, उसे ‘प्लुत स्वर’ कहते हैं। (३) अंक इसका चिह्न होता है। संस्कृत व्याकरण में प्लुत स्वरों की संकल्पना प्राप्त होती है। हिन्दी में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।

विशेष – (समग्रतः मात्रा के आधार पर स्वर के तीन भेद हैं, किन्तु हिन्दी वर्णमाला में मात्रा के आधार पर स्वरों के प्रकार पूछे जाने पर उत्तर 2 होगा (1) ह्रस्व (2) दीर्घ, क्योंकि प्लुत का प्रयोग हिन्दी व्याकरण के अन्तर्गत नहीं किया जाता है।)

#15. 15. ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत किसके प्रकार हैं?

उत्तर : (c) ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत ‘स्वर’ के प्रकार हैं। स्वर स्वतंत्र होते हैं जो बिना किसी सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। व्यंजन स्वतंत्र नहीं होते, इन्हें स्वरों की सहायता से उच्चारित किया जाता है।

#16. 16. किस समूह में सभी स्वर दीर्घ हैं?

उत्तर : (a) दिये गये विकल्पों में समूह (ई, ए, ऐ, ओ, औ) में सभी स्वर ‘दीर्घ स्वर’ के अंतर्गत आते हैं।

#17. 17. हिंदी भाषा में ह्रस्व स्वरों की संख्या कितनी है?

उत्तरः (b) हिन्दी भाषा में ‘ह्रस्व स्वरों’ की संख्या चार है। स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ‘स्वर’ कहलाते हैं। व्याकरण में परम्परागत रूप से स्वरों की संख्या 11 मानी गई है। स्वरों के दो भेद होते हैं:-

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ह्रस्व स्वर वे स्वर मूल या ह्रस्व या एकमात्रिक कहलाते हैं। जिनकी उत्पत्ति दूसरे स्वरों से नहीं होती। जैसे अ, इ, उ, ऋ दीर्घ स्वर वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है; जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।

#18. 18. जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगता है या ह्रस्व से दोगुना समय लगता है, उनको कहते हैं?

उत्तर : (b) जिन स्वरों के उच्चारण में ‘ह्रस्व स्वरों’ से अधिक समय लगता है, वह गुरु स्वर या ‘दीर्घ स्वर’ कहलाते हैं। मात्रा की दृष्टि से दीर्घ स्वर द्विमात्रिक स्वर कहलाते हैं, अर्थात् दो मात्रा वाले स्वर। दो मात्रा होने के कारण ही इनके उच्चारण में ‘ह्रस्व स्वर’ से दोगुना समय लगता है। छंदशास्त्र में ‘ह्रस्व’ मात्रा को ‘लघु’ और ‘दीर्घ’ मात्रा को ‘गुरु’ कहते हैं।

#19. 19. निम्नलिखित में से कौन सा दीर्घ स्वर है?

उत्तर. (a) दिये गये विकल्पों में ‘आ’ दीर्घ स्वर है क्योंकि मूल दीर्घ स्वर आ, ई, ऊ होते हैं।

उ: ह्रस्व स्वर

ए (अ + इ) : संयुक्त स्वर

ओ (अ + उ) : संयुक्त स्वर

#20. 20. निम्नलिखित में से कौन सा संयुक्त स्वर नहीं है?

उत्तर. (c) : ‘ऊ’ संयुक्त स्वर नहीं है बल्कि यह दीर्घ स्वर है। हिन्दी

वर्णमाला में कुल 11 स्वर हैं, जो इस प्रकार हैं-

ह्रस्व स्वर अ, इ, उ, ऋ

दीर्घ स्वर- आ, ई, ऊ

संयुक्त स्वर- ए, ऐ, ओ, औ

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Hindi Subject Varn Class Objective Question

हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर देकर आपको अपने आप पर कॉन्फिडेंस आ रहा होगा हिंदी विषय को करने के लिए सबसे पहले प्रैक्टिस करना आवश्यक है हिंदी लगभग हर स्कूल और प्रतियोगी परीक्षा इसका विशेष महत्व होता है क्योंकि यह एक स्कोरिंग टॉपिक होता है इसे हम तैयारी करके इस विषय को अच्छा बना सकते हैं और इसमें पूरा-पूरा नंबर ला सकते हैं।

सबसे पहले हमें सिलेबस को अच्छे से पढ़ना चाहिए और हमें यह जानना आवश्यक है कि किन-किन भागों से ज्यादा प्रश्न बन रहे हैं उन टॉपिक को अच्छे से तैयारी करना होगा और रोज अध्ययन करना होगा।

मॉक टेस्ट या प्रैक्टिस सेट परीक्षा हल करना होगा इससे तैयारी बेहतर होती है इसमें हमें असली परीक्षा का अनुभव होता है मॉक टेस्ट देने से हमें समझने में मदद मिलती है कि किन टॉपिक में हमारी पकड़ मजबूत है और किस में मेहनत करने की आवश्यकता है यह जानकारी हमें मॉक टेस्ट देने से पता चलता है।

यदि हम प्रैक्टिस सेट हल करते हैं तो उसके बाद हमें सही और गलत उत्तर दोनों को देखना आवश्यक है तथा उनका विश्लेषण भी आवश्यक है इसलिए आज आपको इन जितने भी प्रश्न दिए गए थे इसमें विस्तार पूर्वक उत्तर भी दिया गया है जिसके माध्यम से आप अपने कांसेप्ट को भी क्लियर कर सकते हैं और तेजी से आप सभी सिलेबस के टॉपिक को रिवीजन कर सकते हैं।

हिंदी व्याकरण परीक्षा सबसे स्कोरिंग पार्ट होता है कई छात्र होते हैं इसको कठिन समझते हैं लेकिन यदि हम थोड़े-थोड़े करके पढ़े तो हमें व्याकरण बहुत आसान लगने लगेगा जिसमें अगर हम प्रमुख बिंदु को जाने तो सबसे पहले संधि समास अलंकार कल उपसर्ग प्रत्यय तत्सम तद्भव मुहावरे लोकोक्ति इन टॉपिक को सबसे पहले कर करें इससे हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ाने लगेगा और इसमें हमारा सवाल भी काम गलत होगा।

परीक्षा से ठीक पहले पूरी किताब को रखने का प्रयास न करें इसके बजाय आप हर दिन या हर हफ्ते जो किताब पढ़ा है उसी को रिवीजन करें और उसको बार-बार प्रश्न को हल करें जैसे यहां आपके सामने दिया गया है

निष्कर्ष

हिंदी विषय में सफलता पाना है तो सबसे पहले निरंतर अभ्यास और अध्ययन आवश्यक है इसके साथ मॉक टेस्ट और ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन को भी हल करना जरूरी है इसे रोज पढ़ें और अपना मार्क्स स्कोर करें उम्मीद है आपको यह सारी बातें समझ आया होगा किसी प्रकार का यदि सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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2Candidate आवेदन करते समय विभाग को कोई भी गलत जानकारी न दें, अन्यथा उनका आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है।
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